★ 'दारू' क्या है ? विधिपूर्वक समझाइये ।


 ★ 'दारू' क्या है ? विधिपूर्वक समझाइये ।





शराब का ही दूसरा नाम 'दारू' है दारु का सेवन (पीने से तात्पर्य है) करने वाला व्यक्ति न तो स्वयं सुखी रहता है और न ही अपने परिवार को सुखी रख सकता है । 

समाज तो ऐसे व्यक्तियों को बहुत ही तुच्छ दृष्टि से देखता है। ऋषि-मुनि एवम् वेदज्ञ (वेदों के ज्ञाता) कहते हैं कि दारु अर्थात् 'दानव रुप' भला दानव को कोई सभ्य व्यक्ति कैसे सम्मान दे सकता है क्योंकि दानव के कर्म ही मानव (मनुष्य) के विपरीत होते हैं। मानव से दानव बनना आसान है

किन्तु दानव से मानव बनना बहुत ही मुश्किल । अगर किसी दारु पीने वाले व्यक्ति से कहा जाये कि आपने दारु पीना कैसे सीखा तो वह झटपट कह देगा कि बड़ी आसानी से किन्तु कहो कि दारु छोड़ दो तो उसका जवाब होगा कि नहीं छोड़ पाऊंगा । दारु को पहले लोग पीते हैं 

फिर दारु उन्हें पीती है और धन सम्पत्ति सहित जीवन का अन्त कर देती है सुखी रहने के लिए 'दानव रुप' मत अपनाओ ।


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